!!! तेरी आहट !!!
खामोशी को चीरती
तेरी आहट
कुछ यूं मिली
जैसे ठहरे हुए
जल में इक
कंकड़ कोई उछाल
देता है, और न
जाने कितनी लहरें
वातावरण में
घूम जाती हैं,
अब तक थी तू
खामोश
यूं अचानक से
आ कर
सिहरन सी
को जगा देना
नवजीवन सी
कल्पना जैसे चल के
मेरे पास आ गयी
कितने वक्त से नजर से दूर
थी, रह रहकर
न जाने कितने ख्यालो
से गुजर गया मन
में तो यही सोच रहा
था की शायद किसी गम से
बेचैन था तेरा मन
सकूं मिल गया
जब देखा तुझ को
जैसे मौत से पहले
ही मुझ को
खुदा मिल गया…..
अजीत कुमार तलवार
मेरठ