तेरा ही आभाव हैं
जीवन के दर्पण में खुद का ही गुणगान हैं
संताप की धरती में अनेकों बलिदान हैं
रहस्य की दुनिया में रहस्य-मयी घाव हैं
तूफान के आगोश में डूबने को नाव हैं
हदय पर लगे चोट का अनेको प्रभाव हैं
कठिन ए डगर में तेरा ही अभाव हैं
मूलतः विनाश में आक्रोश का साथ हैं
विकास की नैया तो घातियों के हाथ हैं
मेरा धन-धान्य तो तुझसे मिला ज्ञान हैं
तेरा शब्द भाव ही तो मेरी पहचान हैं
आदर्श के गंगा में लटकाएँ हुए पाव हैं
कठिन ए डगर में तेरा ही अभाव हैं