तेरा अभिनन्दन होगा
शब्द शब्द में प्रत्यक्षर में,
तेरा ही नर्तन होगा।
कण कण में तृण तृण में केशव,
तेरा ही दर्शन होगा।।
तेरे ही छवि में जग सारा,
नव विकसित जीवन होगा।
तेरी ही करुणा में पुलकित,
मेरा तन मन धन होगा।।
बरसेगी जब दया दृष्टि तव,
हर्षित मनः सुमन होगा।
हरषायेगी वसुधा सारी,
प्रफुल्लित कण कण होगा।।
आप कृपा की शुभ्र ज्योति में,
कर्म मेरा अर्पण होगा।
तेरा ही प्रतिबिम्ब निहारे,
मनस् मेरा दर्पण होगा।।
तेरे ही छवि में खो जाऊँ,
दरश तेरा प्रतिक्षण होगा।
सर्वस तेरा तुमको अर्पित,
प्रतिध्वनि तेरा श्रवण होगा।।
डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी