तृषा …
तृषा …
श्वास श्वास के आलिंगन का थोड़ा तुम अभिमान करो l
विरह पलों से मौन सुधा का तुम न यूँ अपमान करो l
नैन विलास की मधुर विभावरी लौट के फिर न आये –
अपने अधरों से अधरों की तृषा का तुम संधान करो l
सुशील सरना
तृषा …
श्वास श्वास के आलिंगन का थोड़ा तुम अभिमान करो l
विरह पलों से मौन सुधा का तुम न यूँ अपमान करो l
नैन विलास की मधुर विभावरी लौट के फिर न आये –
अपने अधरों से अधरों की तृषा का तुम संधान करो l
सुशील सरना