“तू ही तू है”
तेरी तस्वीर देखी है
जब से आँखों ने मेरी
जिधर देखता हूँ
उधर तू ही तू है…
सावन की घटाओं में
हरीतिमा छटाओं में
बादलों के हुंकार में
बिजली के चमत्कार में
तृणों की ओस में
विजयी जयघोष में
फूलों की खुशबू में
कलियों की आरजू में
बूंदों की चमक में
ज्वाला की दहक में
चिड़ियों की चहक में
माटी की सौंधी महक में
क्षण-क्षण में
कण-कण में
जिधर देखता हूँ
उधर तू ही तू है…
हर जगह तू ही तू है
सब जगह तू ही तू है
जिधर देखता हूँ
उधर तू ही तू है…
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त 2022-23