तू भी एक लहर है
तू भी एक लहर है
मैं भी एक लहर हूँ
उसी सागर के पटल पर
लहराती इठलाती
तू गीत गा रही है
मैं नृत्य कर रही हूँ
तू भी एक लहर है।
तेज़ हवाएं हैं
मुझ को उठाती
सागर की गहराईयां
हैं मुझको लुभाती
मैं सागर के आवेगों की
अनन्त कड़ी हूँ
तू भी एक लहर है।
सागर की अनन्तता
मुझको है नापे
नीला यह अम्बर
मुझ में है झांके
अभी छोटी और
अभी मैं बड़ी हूँ
तू भी एक लहर है।
मेरा तेरा मिलन
पहले से है पूरा
सीने पर सागर के
लगता अधूरा
वही हूँ जो तू है
न चाह कोई अधूरी
न पाने को मन्ज़िल
न खोने को दूरी
वही है मंजिल
जहां मैं खड़ी हूँ
तू भी एक लहर है।
सागर से अपना
यह रिश्ता पुराना है
थोड़ा जाना
और थोड़ा पहचाना है
वही हूँ जो वह है
जो वह है वही हूँ
वह मेरे है अंदर
मैं उस से भरी हूँ
तू भी एक लहर है।
डॉ विपिन शर्मा