तू ज़रा धीरे आना
तू जरा धीरे आना
आज खो जाओगी मेरी नींदों में,
तू ज़रा धीरे आना,
आज फिसल जाओगी मेरे ख़्वाब की दहलीज से,
तू ज़रा धीरे आना
जिन्दगी ने बदल ली है,”रास्ता”
मैं तेरे करीब हुए जो,”खांमखां”
कई बहाने से सुबह हुए होंगे तेरे,
मगर मेरा वक्त तेरे इश्क में “बहुतेरे”
आज ठहर जाओगी हमेशा के लिए
तू ज़रा धीरे आना,
काफ़ी हुआ तेरा रोना रुलाना, इन मोहब्बतों में
काफ़ी हुआ तेरा हँसना हँसाना, इन जज्बातों में
आज हर किस्सा बाँटा जायेगा “गम का
नए लफ्ज़ उड़ेंगे धूप और मौसम का
मेरे दीदार पे तेरा भी हक है,
जो मेरे कंधों पर तेरा सबक है
आज गुजर जायेगी तेरी यादें बरसों की,
धीरे – धीरे आना…
मैंने कि है कई लड़ाई अँधेरों से
जो तू ना मिले कभी इन घेरों में
जो देखते रहे राहें सदियों से होके,
हाँ तू ज़रा धीरे आना,
मनोज कुमार