तू चल
तू चल
चलता ही चल
मन में रख विश्वास-
अटल और अडिग,
विघ्न बाधायें खड़ी अनेक
मत हो विकल,
तू चल
चलता ही चल ।
मन में धैर्य धार
तब तेरा है संसार
मत हट पीछे
अवसर जाए न निकल
समय करवट लेता पल पल
तू चल
चलता ही चल ।
तू साहसी है
तू है वीर,
नूतन मार्ग रचता
पर्वतों को चीर,
धीरता बनी रहे
न हो उथल पुथल,
तू चल
चलता ही चल ।
नतमस्तक अपनी इस कृति के आगे
वो परमपिता परमात्मा,
न ऐसा रच सका वो दूसरा कहीं
वायु हो जल हो या हो थल,
हृदय उसका कल कल
हर पल,
तू चल , तू चल
चलता ही चल
चलता ही चल
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पृथ्वीराज चौहान
जानकीदास वाला
8003031152