तुम हँस दो गर
कैसे कह दे कि आपके तलबगार हम नही ।
मेरी ईद हो जाये अगर आपका दीदार हो जाये ।
तुम हँस दो गर
तुम हँस दो गर फूलों सा हमे देखकर ए सनम।
गर मेरी महब्बत पर तुमको भी एतबार हो जाये।
मैं दूआओ में हाथ उठाकर मांग लूंगा तेरी खुशी।
तेरे ग़मों से दिल गर मेरा थोड़ा दो चार हो जाये ।
लोग कहतें मुझे देख की इश्क का बीमार हुआ।
साबिर हो जाये ठीक गर तेरा इज़हार हो जाये।
कर लेंगे दोनो मिलकर पार आग के दरिया को।
मेरी महब्बत की कश्ती गर तू पतवार हो जाये।
मत देखा कर चलती राह यूँ टेड़ी नजरों से सनम।
मर जाऊँगा गर तीरे नज़र दिल के पार हो जाये।