तुम से प्यार नहीं करती।
बात समझ लो सच्ची झूठी, तुम से प्यार नहीं करती।
दिल असमंजस में है अब भी,जा इजहार नहीं करती।
प्रेम भरा इस निश्छल मन में,दर्द कशक दिल में कोई,
मगर देखकर सामने तुमको, मैं इकरार नहीं करती।
छिप-छिप करके चोरी-चोरी, तुमको देखा करती हूँ,
प्यास भरी है इन आँखों में,आँखें चार नहीं करती।
दिल ने हिम्मत की तो लब ने, बातों को झुठलाया।
इश्क़-विश्क में पड़ कर खुद को,यूँ बेजार नहीं करती।
तुम अपना सा लगते मुझको,पर अपनाना मुश्किल है,
एक दफा बस गलती कर दी, बारंबार नहीं करती।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली