तुम मन मंदिर में आ जाना
तुम मन मंदिर में आ जाना, तन मन मेरा महका जाना
जब खेतों में सरसों फूले, और अमराई वौरा जाए,
जब टेसू से वन लाल लगे ,और मन पंछी उड़ उड़ जाए
तुम मन मंदिर में आ जाना, तन मन मेरा महका जाना
जब मधुबन में खुशबू आए, और रंग हवाओं में विखरे
जब प्रेम की पावन ज्योति जले, प्रेम का सागर भरजाए
तुम मन मंदिर में आ जाना, तन मन मेरा महका जाना
जब नभ में पूनम चांद खिले, और निशा भी बेसुध हो जाए
जब सूनी सेज पर पलक लगे, और स्वप्न कभी आ भी जाए
तुम मन मंदिर में आ जाना तन मन मेरा महका जाना
जब फूलों को भंवरे छूलें, जब गीतों से अंबर गुंजाए
जब भी बिरही कोई सिसके, और आंख कभी भर भी आए
तुम मन मंदिर में आ जाना तन मन मेरा महका जाना
जब फागुन पर यौवन फूटे, जब दिल से दिल टकरा जाए
जब मन मयूर नाचे मन में, मन वीणा झंकृत हो जाए जब याद सुहानी आ जाए , गीत प्रेम के दिल गाए
तुम मन मंदिर में आ जाना, तन मन मेरा महका जाना
जब प्रेम सुधा बरसे आंगन ,भीग जाए मन का आंचल मधुमास उमंग ले आए ,और गीत प्रेम का मन भाए
तुम मन मंदिर में आ जाना तन मन मेरा महका जाना
जब गीत कोई दिल को छूले, प्रीत की जब बगिया फूले
जब बहार वासंती हो, शीतल फुहार रंगों की हो
याद आए जब भी फागुन, भीग जाए मन का आंचल
जब दिल में याद पुरानी हो, और आंखों में पानी हो
जब प्रेम सुधा बरसे आंगन तुम मन मंदिर में आ जाना
तन मन मेरा मेहका जाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी