तुम बन जाना
मैं नही बन सकता यदि कृष्ण तुम्हारा,
तुम तो राधे बन जाना।
मैं नही बन सकता यदि राम तुम्हारा,
तुम तो सबुरी बन जाना।।
मैं नही बन सकता यदि वामन तेरा,
तुम तो बलि ही बन जाना।
मैं नही बन सकता यदि दर्पन तेरा,
तुम तो आईना बन जाना।।
मैं नही बन सकता यदि भरत तुम्हारा,
तुम तो रघुनंदन बन जाना।
मैं नही बन सकता यदि लखन तुम्हारा,
तुम तो उर्मिला बन जाना।।
मैं नही बन सकता यदि आस तुम्हारी,
तुम तो विश्वास बन जाना।
मैं नही बन सकता यदि राम तुम्हारा,
तुम तो अहिल्या बन जाना।।
मैं तो पापी जन्म जन्म का,
तुम पतित पावनी बन जाना।
मैं तो अतीत से लड़ ही रहा हूँ,
तुम तो इससे बच जाना।।
मैं तो लायक नही बना हूँ,
तुम तो उदहारण बन जाना।
मैं तो प्यारा नही रहा हूँ,
तुम तो प्यारी बन जाना।।
खुद से ज्यादा मुझे फिक्र बस,
तेरी ही क्यो रहती हैं।
दिन रात कटे ना मेरे अब बस,
याद तेरी ही क्यो रहती हैं।।
ललकार भारद्वाज