तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
मत द्वेष कभी मन में रखना।
हम तो प्रभु के प्रिय बालक हैं।
प्रभु ही सब के प्रति पालक हैं।
सब में भगवान सदा तकना।
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
सब के हित में तुम बात करो।
नव दीप जला कर प्रात करो।
नित भाव यही मन में धरना।
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
हर हालत में सुख से रहना।
कटु बात नहीं मुख से कहना।
जग में सबसे मिल के रहना।
तुम प्रेम सदा सबसे करना।
जग में सब भ्रात सखा- सम है।
मत भूल यहाँ इनसे दम है।
तुम आपस में न कभी लड़ना।
तुम प्रेम सदा सबसे करना।
– लक्ष्मी सिंह