तुम ज्योतिर्मय तुम करुणाकर
हे वंशीधर यदुकुल सुन्दर
तुम ज्योतिर्मय तुम करुणाकर…
लेकर अपने भाव की माला
वंदन करती हूँ नन्द-लाला
अहंकार सब लो मेरा हर
तुम ज्योतिर्मय तुम करुणाकर…
अब शेष रहे न दर्द भरे क्षण
दूर करो सारे संकट गम
पथ पर शूल बिछा है निरंतर
तुम ज्योतिर्मय तुम करुणा कर…
श्रेष्ठ नहीं है साधना मेरी
अनुकम्पा कब होगी तेरी
चिंता मिटाओ नव बल दो भर
तुम ज्योतिर्मय तुम करुणाकर…
मै निहाल हो जाऊं नटवर
देखूं तेरा छवि चिर सुन्दर
पूर्ण करो अभिलाषा गिरधर
तुम ज्योतिर्मय तुम करुणाकर…
भारती दास✍️