तुम्हें निहारता हूं जब भी
दिल में अरमान जगते है मेरे
तेरे सामने बैठा रहता हूं जब भी
मैं तुम्हें निहारता हूं जब भी
पूनम का चांद दिखता है तब भी।।
हो जाती है आंखें मेरी तृप्त
लेकिन प्यास नहीं बुझती मेरी
मैं तुम्हें निहारता हूं जब भी
दिल को सुकून मिलता है तभी।।
नहीं सीखा है कभी तैरना मैंने
लहरों के साथ चलता हूं अब भी
मैं तुम्हें निहारता हूं जब भी
गहरे समंदर में तैरता हूं तब ही।।
करते है सब भक्ति प्रभु की
मिलती है जगह जन्नत में तभी
मैं तुम्हें निहारता हूं जब भी
जन्नत में पहुंच जाता हूं तभी।।
दिन को नींद नहीं रात को चैन
तलाश में तेरी रहता हूं तब भी
मैं तुम्हें निहारता हूं जब भी
दिल को राहत मिलती है तब ही।।
है तू आसमां और मैं हूं धरती
तुझे पाने की तमन्ना रखता हूं तब भी
मैं तुम्हें निहारता हूं जब भी
पूरी हो जाती है सारी तमन्नाएं तब ही।।
तेरी याद मुझे सोने नहीं देती
तुझे ख्वाबों में देख नहीं पाता तब ही
मैं तुम्हें निहारता हूं जब भी
उसी पल ख्वाबों में खो जाता हूं तब ही।।