तुम्हारा साथ
मिला है जब से साथ तुम्हारा,
मन के तार झंकृत होने लगे है।
जो शब्द थे अंदर दिल में मेरे,
वो अब सब बाहर आने लगे हैं।।
सातों स्वर अब गूंजने लगे हैं,
वीणा के तार बजने लगे हैं।
छोड़ दो अब कोई सुरीली तान,
जो मन के झरने बहने लगे।।
मायूस थी बहुत दिनों से मै,
सभी वाद्य यन्त्र जंग खाएं पड़े थे।
मिला है जब से साथ तुम्हारा,
सभी वाद्य यंत्र अब बजने लगे हैं।
बहती रहेगी ये जीवन धारा,
जब तक तुम्हारा साथ रहेगा।
मै भी सैदव साथ दूंगी तुम्हारा,
जब तक ये सारा भूमंडल रहेगा।।
छोड़ना ना कभी तुम मेरा साथ,
जीवन भर रहना तुम मेरे साथ।
गलती भी कभी हो जाए मुझसे,
तब भी तुम निभाना मेरा साथ।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम