तुझे आगे कदम बढ़ाना होगा ।
माना कि तुझे दुख अति भारी है,
तेरी चोट पे हंसती दुनिया सारी है,
अपने मन को तुझे समझाना होगा,
उठ मनुष्य! तुझे आगे कदम बढ़ाना होगा ।
माना कि छाया अँधियारा है,
गर्दिश में डूबा हर एक सितारा है।
अपने कर्म से अपना भाग्य बनाना होगा,
उठ मनुष्य! तुझे आगे कदम बढ़ना होगा।
आंधियां चलती है तो चलने दो,
घर- महल बिखरे तो बिखरने दो,
अपनी आशाओं का दीपक जलाना होगा,
उठ मनुष्य! तुझे आगे कदम बढ़ना होगा।
नव सवेरा तुझे पुकारे सुन
नई चुनौती तुझे ललकारे सुन,
आलस्य छोड़ कर्मभूमि में जाना होगा ,
उठ मनुष्य! तुझे आगे कदम बढ़ाना होगा।
लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’
खरियार रोड, ओड़िशा।