“तुझसे मिलने के बाद”(शेर-ओ-शायरी)
“तुझसे मिलने के बाद”
(शेर-ओ-शायरी)
तु मिली मुझसे ये खुदा का रहम हैं
न जाने क्या असर हुआ हैं तेरे मिलने का मुझ पर
एकाकी सा था मैं तुझसे मिलने से पहले
मिलनसार हो गया हूँ मैं तुझसे मिलने के बाद।
बड़ी मदमस्त सी हैं ये अदाएँ तेरी न जाने क्या असर हुआ हैं तेरी अदाओं का मुझ पर
बेअदब सा था मैं तुझसे मिलने से पहले
अदबगार हो गया हूँ मैं तुझसे मिलने के बाद।
बड़ा ज़बराट हैं ये हुस्न तेरा
न जाने क्या असर हुआ हैं तेरे हुस्न का मुझ पर
बेतलब सा था मैं तुझसे मिलने से पहले
तलबगार हो गया हूँ मैं तुझसे मिलने के बाद।
बड़ी सैराट सी हैं ये सदाएँ तेरी
न जाने क्या असर हुआ हैं तेरी सदाओं का मुझ पर
बेखबर सा था मैं तुझसे मिलने से पहले
खबरदार हो गया हूँ मैं तुझसे मिलने के बाद।
बड़ी कातिल सी हैं ये नज़रे तेरी न जाने क्या असर हुआ हैं तेरी नज़रों का मुझ पर
बेनज़र सा था मैं तुझसे मिलने से पहले
नज़रदार हो गया हूँ मैं तुझसे मिलने के बाद।
बड़ी कसक सी हैं मुस्कानों में तेरी
न जाने क्या असर हुआ हैं तेरे मुस्कुराने का मुझ पर
बेअसर सा था मैं तुझसे मिलने से पहले
असरदार हो गया हूँ मैं तुझसे मिलने के बाद।
बड़ा कायल हूँ मैं समझ का तेरी
न जाने क्या असर हुआ हैं तेरी समझ का मुझ पर
नासमझ सा था मैं तुझसे मिलने से पहले
समझदार हो गया हूँ मैं तुझसे मिलने के बाद।
ज़बराट =जबरदस्त
सैराट =बिंदास
सदा =आवाज
रामप्रसाद लिल्हारे “मीना “