Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2018 · 2 min read

तीन कसौटियों

प्राचीन यूनान में सुकरात अपने ज्ञान और विद्वता के लिए बहुत प्रसिद्ध था। सुकरात के पास एक दिन उसका एक परिचित व्यक्ति आया और बोला, “मैंने आपके एक मित्र के बारे में कुछ सुना है।”

ये सुनते ही सुकरात ने कहा, “दो पल रूकें”, “मुझे कुछ बताने से पहले मैं चाहता हूँ कि हम एक छोटा सा परीक्षण कर लें जिसे मैं ‘तीन कसौटियों का परीक्षण’ कहता हूँ।”

“तीन कसौटियाँ? कैसी कसौटियाँ?”, परिचित ने पूछा।

“हाँ”, सुकरात ने कहा, “मुझे मेरे मित्र के बारे में कुछ बताने से पहले हमें यह तय कर लेना चाहिए कि आप कैसी बात कहने जा रहे हैं, इसलिए किसी भी बात को जानने से पहले मैं इन कसौटियों से परीक्षण करता हूँ।

इसमें पहली कसौटी सत्य की कसौटी है। क्या आप सौ फीसदी दावे से यह कह सकते हो कि जो बात आप मुझे बताने जा रहे हो वह पूर्णतः सत्य है?

“नहीं”, परिचित ने कहा, “दरअसल मैंने सुना है कि…”

“ठीक है”, सुकरात ने कहा, “इसका अर्थ यह है कि आप आश्वस्त नहीं हो कि वह बात पूर्णतः सत्य है।

चलिए, अब दूसरी कसौटी का प्रयोग करते हैं जिसे मैं अच्छाई की कसौटी कहता हूँ। मेरे मित्र के बारे में आप जो भी बताने जा रहे हो क्या उसमें कोई अच्छी बात है?

“नहीं, बल्कि वह तो…”, परिचित ने कहा.

“अच्छा”, सुकरात ने कहा, “इसका मतलब यह है कि आप मुझे जो कुछ सुनाने वाले थे उसमें कोई भलाई की बात नहीं है और आप यह भी नहीं जानते कि वह सच है या झूठ। लेकिन हमें अभी भी आस नहीं खोनी चाहिए क्योंकि आखिरी यानि तीसरी कसौटी का एक परीक्षण अभी बचा हुआ है; और वह है उपयोगिता की कसौटी।

जो बात आप मुझे बताने वाले थे, क्या वह मेरे किसी काम की है?”

“नहीं, ऐसा तो नहीं है”, परिचित ने असहज होते हुए कहा।

“बस, हो गया”, सुकरात ने कहा, “जो बात आप मुझे बतानेवाले थे वह न तो सत्य है, न ही भली है, और न ही मेरे काम की है, तो मैं उसे जानने में अपना कीमती समय क्यों नष्ट करूं?”

आज के नकारात्मक परिवेश में हमें अक्सर ऐसे लोगों से पाला पड़ता है जो हमेशा किसी न किसी की बुराईयों का ग्रन्थ लेकर घूमते रहते हैं और हमारे बीच मतभेद पैदा करने को कोशिश करते रहते हैं, इनसे निबटने के लिए सुकरात द्वारा बताई गयी इन तीन कसौटियों, सत्य की कसौटी, अच्छाई की कसौटी और उपयोगिता की कसौटी को आप भी अपने जीवन में अपनाकर अपना जीवन सरल और खुशहाल बना सकते हैं।

Language: Hindi
312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हिंदुस्तान जिंदाबाद
हिंदुस्तान जिंदाबाद
Mahmood Alam
2977.*पूर्णिका*
2977.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अलगौझा
अलगौझा
भवानी सिंह धानका "भूधर"
जीवन तब विराम
जीवन तब विराम
Dr fauzia Naseem shad
पग न अब पीछे मुड़ेंगे...
पग न अब पीछे मुड़ेंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
स्वार्थ
स्वार्थ
Neeraj Agarwal
"प्यासा कुआँ"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Raju Gajbhiye
प्रेमचंद के उपन्यासों में दलित विमर्श / MUSAFIR BAITHA
प्रेमचंद के उपन्यासों में दलित विमर्श / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
दोस्त को रोज रोज
दोस्त को रोज रोज "तुम" कहकर पुकारना
ruby kumari
विश्व पुस्तक दिवस पर
विश्व पुस्तक दिवस पर
Mohan Pandey
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
Neelam Sharma
Expectation is the
Expectation is the
Shyam Sundar Subramanian
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
DrLakshman Jha Parimal
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
*फल*
*फल*
Dushyant Kumar
दिल की हरकते दिल ही जाने,
दिल की हरकते दिल ही जाने,
Lakhan Yadav
वर्तमान में जो जिये,
वर्तमान में जो जिये,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सपने तेरे है तो संघर्ष करना होगा
सपने तेरे है तो संघर्ष करना होगा
पूर्वार्थ
मन का महाभारत
मन का महाभारत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कर ले प्यार
कर ले प्यार
Ashwani Kumar Jaiswal
रही प्रतीक्षारत यशोधरा
रही प्रतीक्षारत यशोधरा
Shweta Soni
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
Sandeep Pande
इश्क़ में
इश्क़ में
हिमांशु Kulshrestha
आवाज़ दीजिए Ghazal by Vinit Singh Shayar
आवाज़ दीजिए Ghazal by Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
कशमें मेरे नाम की।
कशमें मेरे नाम की।
Diwakar Mahto
कविता : याद
कविता : याद
Rajesh Kumar Arjun
Loading...