तिरंगा
वो लड़े पर झुके नहीं
लड़खड़ाए, पर गिरे नहीं
कुरबां हुए वतन पर
और लुटा गए
अपनी मुहब्बतें
आजादी की शक्ल में
हमारे आजाद मुस्तकबिल के लिए
ये तिरंगा
महज़ झंडा होता तो
भुला दिया जाता
शान है, और निशानी
उन मुहब्बतों की जो हमेशा
हमेशा हमें
हौसले देती रहेगी
हर हाल मै डटे रहने की
हर मुश्किल से लड़ने की
हिम्मत न हारने की
अंधेरों में रास्ते तलाश करने की
हर एक का हाथ थाम
आगे बढ़ने की
मजहबों, भेदभाव, भूख,
ग़रीबी और इन सब से ऊपर
अपने पर यकीन रख
देश को तरक्की
और एकता की ऊंचाइयों पर
ले जाने की
ये तिरंगा बस झंडा तो नहीं