ताण्डव छन्द
ताण्डव छन्द
बनूँ मैं हरि का दास
यही प्रभु से अरदास
रहूँ मैं पद के पास
मिटे तब मन की आस
हरो मन का संताप
कटे सब मेरे पाप
ह्रदय न हो प्रभु विलाप
करो दया सदा आप
अदम्य
ताण्डव छन्द
बनूँ मैं हरि का दास
यही प्रभु से अरदास
रहूँ मैं पद के पास
मिटे तब मन की आस
हरो मन का संताप
कटे सब मेरे पाप
ह्रदय न हो प्रभु विलाप
करो दया सदा आप
अदम्य