तस्वीर
तस्वीर …
खोया कहीं बचपन
आँखों में बस सूनापन
सर पर बोझ भारी
हाय ये कैसी लाचारी
कलेजा चीरती नज़र
दुनियाँ कैसी बेफिक्र
फिर भी अधरों पर मुस्कान
सर बोझा ढोती नन्हीं जान
आँखें निश्छल निष्पाप
रही तेरी आँखों में झाँक
क्या तू नज़रें मिला पाएगा
असमता ये समझा पाएगा
संवार पाएगा फूटी तक़दीर
या बस खींचता रहेगा तस्वीर
जब तक हैं तुझ जैसे ख़रीदार
ग़रीबी बिकती रहेगी बीच बाज़ार
रेखांकन।रेखा