Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

तस्कर-तस्कर भाई है

मैं…
देखता हूं, सुनता हूं,
दुनियां की हरकतें।

दुनियां पागल है….
पैसे का दामन,
छोड़ना नहीं चाहती…
प्रेम के इन धागों को,
छोड़ना नहीं चाहती।

जाने क्यों…
स्वयं को बन्धन में,
बांध रही है…
जबकि स्वयं…
आजाद होना चाहती है।

मैं…
देख रहा हूं…
मानव; मानव का प्यासा है,
धन की मात्र पिपासा है।
इसीलिए तो हो रहा,
हर तरफ आज…
ख़ूनी काण्ड औ खूनी तमाशा है।

मैं….
देख रहा हूं…..
भाई-भाई में,
आज बन गई खाई है।
बेटे-औ-बाप लुटाने को,
देखो दुनिया यूं आई है।
कोर्ट-कचहरी में देखो,
किस-किस की लड़ाई छाई है।
भाई-भाई का दुश्मन है,
पर तस्कर-तस्कर भाई है।

हर तरफ़ अंधेर है मचा हुआ,
हर तरफ़ अंधेरी छाई है।

67 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हे कलम तुम कवि के मन का विचार लिखो।
हे कलम तुम कवि के मन का विचार लिखो।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हमारी जान तिरंगा, हमारी शान तिरंगा
हमारी जान तिरंगा, हमारी शान तिरंगा
gurudeenverma198
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
Keshav kishor Kumar
सेंगोल जुवाली आपबीती कहानी🙏🙏
सेंगोल जुवाली आपबीती कहानी🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"अकेलापन और यादें "
Pushpraj Anant
आते ही ख़याल तेरा आँखों में तस्वीर बन जाती है,
आते ही ख़याल तेरा आँखों में तस्वीर बन जाती है,
डी. के. निवातिया
हे आदमी, क्यों समझदार होकर भी, नासमझी कर रहे हो?
हे आदमी, क्यों समझदार होकर भी, नासमझी कर रहे हो?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
Neelam Sharma
यादों का झरोखा
यादों का झरोखा
Madhavi Srivastava
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
ख़यालों के परिंदे
ख़यालों के परिंदे
Anis Shah
अंजानी सी गलियां
अंजानी सी गलियां
नेताम आर सी
कसरत करते जाओ
कसरत करते जाओ
Harish Chandra Pande
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
कलेवा
कलेवा
Satish Srijan
प्यार का रिश्ता
प्यार का रिश्ता
Surinder blackpen
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
Shweta Soni
इस कदर भीगा हुआ हूँ
इस कदर भीगा हुआ हूँ
Dr. Rajeev Jain
कुछ इस तरह से खेला
कुछ इस तरह से खेला
Dheerja Sharma
ऐ ज़िंदगी।
ऐ ज़िंदगी।
Taj Mohammad
दिल की बात
दिल की बात
Bodhisatva kastooriya
फितरत
फितरत
Dr fauzia Naseem shad
दोहे
दोहे "हरियाली तीज"
Vaishali Rastogi
*गृहस्थी का मजा तब है, कि जब तकरार हो थोड़ी【मुक्तक 】*
*गृहस्थी का मजा तब है, कि जब तकरार हो थोड़ी【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
बैगन के तरकारी
बैगन के तरकारी
Ranjeet Kumar
चुलबुली मौसम
चुलबुली मौसम
अनिल "आदर्श"
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
कवि रमेशराज
2861.*पूर्णिका*
2861.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम कितने चैतन्य
हम कितने चैतन्य
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मेरे सपनों में आओ . मेरे प्रभु जी
मेरे सपनों में आओ . मेरे प्रभु जी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...