“तवा और औरत”
“तवा और औरत”
तवा और औरत के जीवन का
है एक ही राग,
दोनों के ही नसीब में लिखा
है आग ही आग।
दोनों ही लड़ते- जलते सदा
अति विचित्र हालात से,
फिर भी मुक्ति मिलती नहीं
जीवन के सन्ताप से।
“तवा और औरत”
तवा और औरत के जीवन का
है एक ही राग,
दोनों के ही नसीब में लिखा
है आग ही आग।
दोनों ही लड़ते- जलते सदा
अति विचित्र हालात से,
फिर भी मुक्ति मिलती नहीं
जीवन के सन्ताप से।