तलाश
तलाश में निकला है हर मनुष्य यहां
तलाश किसी को रोटी की,
तो किसी को आशियाने की।
तलाश किसी को अपनों की,
तो किसी को सपनों की।
तलाश किसी को विचार की,
तो किसी को व्यवहार की।
तलाश किसी को निर्माण की,
तो किसी को निर्वाण की।
पथ है कांटों से पटा,
फिर भी मनुष्य है डटा।
कदम अभी रुके नहीं,
हौसले थके नहीं।
हर तलाश है जुदा,
मजबूत इरादों में है खुदा।