तलाक़ का जश्न…
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
बिल्कुल यह बंदिश तोड़
आज़ाद हो जाओ तुम
पर गुनाह उसका जमाने को
शब्द-शब्द बता जाओ तुम
ख़ुशियाँ उससे दूर होने में
अगर मिल रही हैं तुम्हें
दुश्वारियाँ उसकी एक-एक
हर शख़्स को गिना जाओ तुम
जानना चाहता है दुनिया
कितना बड़ा था वह ज़ालिम
सच का पर्दा उसके चेहरे का
दिखा जाओ तुम
तेरी यह तस्वीर बेटियों को
झकझोरेंगी अंदर तक
इस असली मुस्कुराहट का
हक़ीक़त बता जाओ तुम
happy हो happy ही रहो
unhappy राज बता जाओ तुम…