तय हो, तय हो
तय हो….तय हो…
तय हो….तय हो…
ये ओहदेदारों की जवाबदारी।
सिपहसालारों की जिम्मेदारी।।
ये कर्णधारों की नई तैयारी।
ये अग्रदूतों की नई सवारी।।
तय हो….तय हो…
ये बाबूओं की कार्यप्रणाली।
सरकारी धन की रखवाली।
ये अधिकारों के पटवारी।
ये कर्तव्यों से भरी पिटारी।।
तय हो….तय हो…
ये नेताओं की धन-उन्नति।
अभिनेताओं की भी अति।।
पूंजीपति की भरी तिजोरी।
कुछ जमाखोरों की चोरी।।
तय हो….तय हो…
ये घामडो़ं की घूसखोरी।
चिंदीचोरों की सीनाजोरी।।
बोरी भर के रिश्वतखोरी।
ये चुनावी चंदे की थ्योरी।।
तय हो… तय हो…
तय हो… तय हो…
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मौलिक और स्वरचित: कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या-०५ : मई, २०२४-©जीवनसवारो