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24 Feb 2020 · 1 min read

तमाशे

1212 1122 1212 22

ग़ज़ल
तमाशे प्यार में क्यों बार बार करते हो

तमाशे प्यार में क्यों बार बार करते हो।
हमारी आबरू को तार तार करते हो।।

जिगर को थामके बैठे थे जाने कबसे हम।
चलाके तीर ए नज़र आर पार करते हो।।

न छेड़ ज़िक्र मेरा तू किसी भी महफ़िल में
सभी की नज़रों में क्यूँ शर्मसार करते हो।।

लगी है चोट या है खोट तेरे दिल में भी।
जो पीठ पीछे ही बातें हज़ार करते हो।।

किया है दूर मुझे जबसे अपनी नज़रों से।
तभी से गैर का तुम इंतज़ार करते हो।।

बिगाड़ पाये न कुछ मेरा दुश्मनी करके।
बनाके यार ही धोखे से वार करते हो।।

कलम को छोड़ जो हथियार अब उठाये हैं।
चलोगे चाल नयी तेज धार करते हो।।

जलाओ प्यार का दीपक उजाला हो जाये।
मकां में ज्योति के क्यों अंधकार करते हो।।

✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा

3 Likes · 1 Comment · 423 Views
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