तमाम लोग “भोंपू” की तरह होते हैं साहब। हर वक़्त बजने का बहाना
तमाम लोग “भोंपू” की तरह होते हैं साहब। हर वक़्त बजने का बहाना ढूंढते रहते हैं बस।।
🙅प्रणय प्रभात🙅
तमाम लोग “भोंपू” की तरह होते हैं साहब। हर वक़्त बजने का बहाना ढूंढते रहते हैं बस।।
🙅प्रणय प्रभात🙅