तब आदमी का होता है पीरी से सामना
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तब आदमी का होता है पीरी से सामना
थोड़ा सा भी नहीं बचे है जब लड़कपना
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
इस काम के लिए ही तो आईना है बना
इंसान तो दिखे न यहाँ भीड़ ही दिखी
इंसानियत दिखाना भी है शहरों में मना
दूरी की जगह मील के पत्थर पे था लिखा
अपने लिए तू ख़ुद ही नया रास्ता बना
-जॉनी अहमद क़ैस