तन्हा वक्त
वक्त तन्हा हुआ तो क्या?
तुमसे बात तो हो सकती है ना।
दूरियां खास नहीं है हमारे बीच
मुलाकात तो हो सकती है ना।
गुफ्तगू करेंगे एक बार तुमसे
बस तुम नागवार मत करना।
गिले शिकवे मिटा देना इस बार
बस फिर पलटवार मत करना।।
थोड़े से अनपढ़ जरूर है हम
पर दिल के उदार बहुत है।
पहले वाले ना तुम हो ना हम
दोनों में अब सुधार बहुत है।।
छोड़ों ना जमाने भर की बाते अब
कुछ छन के लिए एक हो सकते है क्या?
निर्मल तन हो जहा ,निश्छल मन हो वहां
इरादे , वादे अब एक हो सकते है क्या?
वक्त ही तो है बीत जायेगा एक दिन
बस तेरा होकर खो सकता हूं क्या?
ताउम्र ठोकरें खायी है तेरे शहर में
सुकून के दो पल अब सो सकता हूं क्या?