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27 Jun 2017 · 1 min read

तन्हाई

कैसी तन्हाई बसी है
इस भरी महफिल में

लबों पर मुस्कान हैl
दर्द भरा है दिल में

बतलाता नहीं दर्द इंसान
हंस कर दुनिया रुलाएगी

अपने बहते अश्कों से वह
बताने का मूल चुकाएगी

कैसी तन्हाई बसी है
इस भरी महफिल में

जख्म भरा दिल है अंदर
धूल सके न जिसे समंदर

मात देकर इन जख्मों को
बनकर घूम रहा सिकंदर

कैसी तन्हाई बसी है
इस भरी महफिल में

जीवन जीना आसान नहीं है
बिन महफिल पहचान नहीं है

सोच समझ कर जीने में
अपना कोई नुकसान नहीं है

कैसी तन्हाई बसी है
इस भरी महफिल में*****

रीता यादव

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 507 Views
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