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20 Sep 2021 · 1 min read

तखन कोना करू हम आराम प्रिये

तखन कोना करू हम आराम प्रिये
जखन छोड़ि देला बौआ गाम प्रिये
चढ़ल दुपहरी सँ आंखि अन्हिआयल
सूरज के ताप सँ देह लागे हेराएल
जखन प्रेम स्नेह नुआ फहरायल
तखन कोना करु हम आराम प्रिये

होत पराउ चाहे जिनगीक बड मंहग
सातटा फेरा आ वचन कियैक टुटत
मोह माया जाल मे आँहा नै फासूं
अप्पन कर्तव्य केलौं आजो हासूं
ठानला सँ समय केर दुर होएत अन्हियारा
तखन कोना करू हम आराम प्रिये

अहा बिनु पावन चारोधाम लागैछै अधूरा
माय भगवती उगना पर अटूट आशा
देह मोछ पाकल मुदा दिलसँ वाहै जुवानि
माटि कोर सोन उगाऐब ठिह पोखर मे माछ बहरायब
दूटा परानी केर नैय अछि जिनगी ऐतैके भारी
तखन कोना करु हम आराम प्रिये

मौलिक एवं स्वरचित
@श्रीहर्ष आचार्य

Language: Maithili
8 Likes · 6 Comments · 274 Views
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