तक़दीर का ही खेल
1)कहीं है सुख की शहनाई कहीं दुख घिर के आया है
ये दुनिया है यहाॅं तक़दीर का ही खेल सारा है
2)यहाॅं के मंच पर किरदार अपने सब निभाते हैं
किसी को रोना पड़ता है तो कोई मुस्कुराता है
3)मुहब्बत के असर को लाख दुनिया से छिपा ले तू
मगर चेहरा बता देगा के तू किसका दिवाना है
4)वही हैं ज़िन्दगी जो साथ अपनों के गुज़र जाए
यही लम्हा है बस अपना जो बाक़ी है पराया है
5)हमारे नाम को बदनाम करने पर अड़े क्यों हो
सर-ए-महफ़िल ये किसके वास्ते चर्चा हमारा है
6)तेरी ख़ुशबू से महकी हूॅं सजाती हूं हसीं सपने
सितारों से सजा ऑंचल तुझे हरदम बुलाता है
7)तपिश है जेठ की और पूस की तू ठंड के जैसी
तू है गर मंतशा तो साथ फिर सारा ज़माना है
🌹मोनिका अरोड़ा ‘माना’🌹