ढूंढ़ते है*
*****/ढूंढते है/*******
मावस में पूनम की,
सहर में शबनम की,
निशानी ढूंढते है।
दर्पण में श्रंगार की,
नजरों में प्यार की,
रवानी ढूंढते है।
रिश्तों में अधिकार की,
बेबसी में स्वीकार की,
नादानी ढूंढते है।
भटकाव में भूल की,
यादों में शूल की,
कहानी ढूंढते है!
ख़ामोशी में शोर की,
सावन में मोर की,
बैचैनी ढूंढते है!
दर्द में दिलासा की,
हिज्र में आशा की,
मेजबानी ढूंढते है!
***रजनी