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12 Apr 2024 · 1 min read

“ढिठाई”

“ढिठाई”
दिल यादें आदत जिन्दगी
हमने सबकी ढिठाई देखी है,
पर गरीबी जैसी कोई नहीं
जो लगती मौत सरीखी है।
आ ही जाती एक दिन
कैसो भी बगल बचाएँ,
जैसे काजल की कोठरी में
न जाने कहाँ दाग लग जाए?

3 Likes · 4 Comments · 168 Views
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