Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2023 · 2 min read

डॉ. जसवंतसिंह जनमेजय का प्रतिक्रिया पत्र लेखन कार्य अभूतपूर्व है

डॉ. जसवंतसिंह जनमेजय, जिन्हे मैं लगभग 7 वर्षों से जानता हूं । बहुत ही नेकदिल और अदभुत व्यक्तित्व के स्वामी हैं । आपसे मेरी मुलाकात आज से करीब 7 वर्ष पूर्व दिल्ली में एक सामाजिक कार्यक्रम के दौरान हुई थी तब से लेकर आज तक आपके सुखद संदेश मुझे वाट्सअप और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से अक्सर मिलते रहते हैं । आपके द्वारा लिखित लेखों का एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित होना लेखक के लिए गौरव की बात है । आपके कुछ लेखों का संकलन डॉ. ममता देवी के संपादन प्रकाशित हुआ है जोकि आपने मुझे सप्रेम भेंट किया उसके लिए आपका आभार एवं आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

आप उम्र के उस पड़ाव पर हैं जिस पड़ाव पर आकर रिटायर्ड व्यक्ति घर की चारदीवारी तक सिमटकर रह जाता है जबकि आपकी सामाजिक सक्रियता देखते ही बनती है । आपका सामाजिक चिंतन अक्सर देश के विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में विश्लेषणात्मक गहन अध्ययन के साथ प्रकाशित होता रहता है, जिसमें आपकी लेखन कला और किसी भी विषय पर गहन चिंतन के साथ उसका विश्लेषण आपको आलोचक के रूप में स्थापित करते हैं । आपके द्वारा लिखित अलग – अलग विषयों पर की गई टिप्पणियों का विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित होना इस बात का उदाहरण है कि आपके लेखन में आलोचना के साथ- साथ समालोचना का उदभाव भी प्रदर्शित होता है । आपको द्वारा समय समय पर मुझे भेजे गए स्वलिखित पत्र मैंने पढ़े हैं जिनमें सामाजिक मुद्दों, देश के प्रति आपके समर्पण एवं संवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है । जिन छोटी छोटी घटनाओं की खबर को लोग पढ़ने मैं रुचि तक नहीं रखते हैं वहीं दूसरी तरफ आपने उन घटनाओं पर अपने अनुभव , सोच -विचार एवं प्रतिक्रियाओं के माध्यम से समाचार पत्रों में प्रकाशन के लिए भेजना बहुत बड़ी उपलब्धि है । पत्र लेखन में आपका योगदान अभूतपूर्व है । आप लगभग 20 वर्षों से विभिन्न क्षेत्रों की पत्र पत्रिकाओं के साथ साथ देश के प्रसिद्ध समाचार पत्रों में एक लेखक की सक्रिय एवं ईमानदार भूमिका निभाते चले आ रहे हैं जोकि लेखन के क्षेत्र में आपके योगदान को अभूतपूर्व बनाते हैं । प्रतिक्रिया पत्रों के संकलन की यह साहित्य जगत की प्रथम एवं अनोखी पुस्तक प्रकाशित हुई है ।

मैं आपके इस बेहतर संकलन के सफल प्रकाशन के लिए सम्यक संस्कृति साहित्य संघ, अलीगढ़ की ओर से हार्दिक बधाई प्रेषित करता हूं ।

आर एस आघात
संस्थापक एवं सचिव – सम्यक संस्कृति साहित्य संघ, अलीगढ़

Language: Hindi
1 Like · 452 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
-- दिखावटी लोग --
-- दिखावटी लोग --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*जिंदगी  जीने  का नाम है*
*जिंदगी जीने का नाम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गुरु ही साक्षात ईश्वर
गुरु ही साक्षात ईश्वर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
#शुभ_रात्रि
#शुभ_रात्रि
*प्रणय प्रभात*
सपना
सपना
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
प्रेम मे धोखा।
प्रेम मे धोखा।
Acharya Rama Nand Mandal
युवा शक्ति
युवा शक्ति
संजय कुमार संजू
खूब ठहाके लगा के बन्दे !
खूब ठहाके लगा के बन्दे !
Akash Yadav
हर खुशी
हर खुशी
Dr fauzia Naseem shad
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खांचे में बंट गए हैं अपराधी
खांचे में बंट गए हैं अपराधी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*
*"देश की आत्मा है हिंदी"*
Shashi kala vyas
Dr. Arun Kumar shastri
Dr. Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वीर बालिका
वीर बालिका
लक्ष्मी सिंह
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
"आँखें "
Dr. Kishan tandon kranti
परिवर्तन विकास बेशुमार
परिवर्तन विकास बेशुमार
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
BUTTERFLIES
BUTTERFLIES
Dhriti Mishra
अंधविश्वास का पुल / DR. MUSAFIR BAITHA
अंधविश्वास का पुल / DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*मची हैं हर तरफ ऑंसू की, हाहाकार की बातें (हिंदी गजल)*
*मची हैं हर तरफ ऑंसू की, हाहाकार की बातें (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
अंगदान
अंगदान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
Otteri Selvakumar
बादल बनके अब आँसू आँखों से बरसते हैं ।
बादल बनके अब आँसू आँखों से बरसते हैं ।
Neelam Sharma
कली को खिलने दो
कली को खिलने दो
Ghanshyam Poddar
प्रकृति हर पल आपको एक नई सीख दे रही है और आपकी कमियों और खूब
प्रकृति हर पल आपको एक नई सीख दे रही है और आपकी कमियों और खूब
Rj Anand Prajapati
पति की खुशी ,लंबी उम्र ,स्वास्थ्य के लिए,
पति की खुशी ,लंबी उम्र ,स्वास्थ्य के लिए,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कारगिल युद्ध के समय की कविता
कारगिल युद्ध के समय की कविता
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जैसे ये घर महकाया है वैसे वो आँगन महकाना
जैसे ये घर महकाया है वैसे वो आँगन महकाना
Dr Archana Gupta
నీవే మా రైతువి...
నీవే మా రైతువి...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मां की ममता जब रोती है
मां की ममता जब रोती है
Harminder Kaur
Loading...