डारा-मिरी
आम की टहनी और लाल मिर्च ही
डारा-मिरी कहलाती,
भूमकाल आन्दोलन में शामिल होने
सबको सन्देश दे जाती।
डारा-मिरी का भरपूर स्वागत होता
मजरा टोला गॉंव में,
युद्ध में शामिल होने स्वीकृति लेकर
बढ़ते अगले पड़ाव में।
अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने
संकल्प लेते जाते,
बस्तर के सारे जन-मन को जगाने
इसे गॉंव-गॉंव पहुँचाते।
तीर-कमान फरसा औ’ भाला लेकर
आन्दोलन में कूद जाते,
चुन-चुन कर अंग्रेजी टुकड़ियों को
ठिकाने लगाते जाते।
महानायक गुण्डाधुर की सूझबूझ से
मेजर गियर चकित हुए,
मगर सोनू मांझी के विश्वासघात ने
आन्दोलन को छिड़ किए।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
सुदीर्घ साहित्य सेवा के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त।