डरावनी गुड़िया
डरावनी गुड़िया की क्या सुनाऊँ कहानी,
मेरी बिटिया की थी वह बहुत ही मन भावनी।
जब से मामा ने उसे वह लाकर दी थी,
तब से वह सदा बिटिया संग सोती थी।
लोहड़ी के दिन अचानक उसके हाथ से वह छूटी थी,
गुड़िया के चेहरे की सुंदरता आग में झुलसी थी।
बिटिया का उसको देखकर था बुरा हाल,
रो-रोकर उसका था हाल बेहाल।
हैरानी तो तब हुई जब गुड़िया की आंँख में आँसू देखे,
डर के मारे सबके चेहरों के छक्के छूटे।
बिटिया ने बड़े प्यार से सबको समझाया,
गुड़िया का चेहरा जला है इसलिए आंँसू आया।
बचपन में भूत प्रेतों की कहानी को सुना था,
आज सच में गुड़िया को देखकर मन डरा था।
डर था कहीं बिटिया के दिमाग पर असर ना हो जाए,
इससे पहले कुछ हो, कहीं और गुड़िया को ले जाया जाए।
बड़ी मुश्किल से बिटिया को फिर यह समझाया,
प्लास्टिक सर्जरी के लिए गुड़िया को ले जाना है उसे बताया ।
शुक्र है भगवान का कि दूसरा पीस मिल गया,
डरावनी गुड़िया का नया रूप बिटिया का चेहरा खिल गया।
नीरजा शर्मा