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14 Sep 2023 · 1 min read

हिंदी का वैभव

चलो आज फिर कुछ हिंदी के शब्दों को बहलाया जाय
भाल धरा का फिर हिंदी की बिंदी से सजाया जाय
कहें कभी निज भाषा इसको इतना मुखर कर दें
अपने उर के भावों में हिंदी का मधुरम स्वर भर दें
हर दिवस हो हिंदी दिवस इसका इतना अधिकार हो
बस एक दिवस के लिए न फिर आंखों में इंतजार हो
हिंदी सिंधु सदृश सजीली आत्मसात सबको करती
एक नहर बना न दो इसको इस डर में जीती मरती
हर वर्ष दिए हैं हिंदी दिवस पर नारे इसके उत्थान के
लेकिन कभी हुए नहीं आंदोलन इसके सम्मान के
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं
अभिनेष

Language: Hindi
50 Views
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