Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Dec 2024 · 3 min read

टूटा सागर का अहंकार

टूटा सागर अहंकार—

सागर तट पहुंचे
रघुबीर संग सेना
बानर और रीछ।।

लंका पहुंच पाना
समस्या विकट गम्भीर
सागर में कैसे हो पथ
निर्माण कार्य कठिन।।

प्रश्न बहुत जटिल
विभीषण जामवंत
लखन संग मन्तव्य
रघुबीर ।।

सागर से ही
मांगे पथ करे स्वंय विनम्र
निवेदन रघुबीर।।

लखन लाल क्रोधित
रास नही मन्तव्य
शेष भृगुटी तनी
धरे रूप रौद्र।।

बोले सुनो भईया
जड़ का चेतन
संस्कार नही
सागर जड़ है करो
निवेदन वंदन उचित
व्यवहार नही।।

धनुष उठाओ
प्रत्यंचा चढ़ाओ
सागर को नीर विहीन
करो ।।

लंका पथ स्वंय
मिल जाएगा युग
परिहास नही होगा।।

आने वाला काल समय
मर्यादा पुरुषोत्तम की
युग मे महिमा का यश गान
करेगा रघुकुल का
शौर्य ध्वज लहराएगा।।

बोले धैर्य धीर गम्भीर
रघुवर रघुबीर सुनो भ्राता
लखन विनम्र अनुनय
निवेदन वंदन पराक्रम
तरकस और तूणीर।।

बैठेंगे सागर तट पर
सागर का आवाहन कर
उसकी इच्छा से ही लंका
पथ पाएंगे ।।

सागर ही पथ प्रयास
परिणाम प्रथम पथ
विजय दिखलाएगा
लंका विजय से अपनी
कीर्ति मान बढ़ाएगा।।

लखन लाल का क्रोध
शांत नही भ्राता आदेश
से विवश शांत हुआ
रणधीर ।।

पूजा वंदन कि थाल
लिए सागर तट पहुंचे रघुवीर
ध्यान मग्न सागर अर्चन वंदन
पर बैठे शांत शौम्य सूर्य बंसी
धैर्य धीर वीर रघुवीर।।

देख रहे थे प्रभु लीला
को बानर भालू रीछ
लक्ष्मण और विभीषण
सबकी यही परीक्षा और
प्रतीक्षा।।

सागर के आने और पथ
लंका पाने की पूरी हो
लंका विजय प्रतिज्ञा।।

रघुबर की सागर मनौती
विनय आराधना काम न
आई दिवस बीत गए तीन
टूटा ध्यान जागे क्रोधित
रघुवीर।।

बोले सकोप लखन
लाओ धनुष सारंग हमारा
आज सोखेऊ सागर नीर।।

सागर अहंकार मैं तोड़ू
युग मे सागर मर्यादा झिन्न
भिन्न मैं कर देंऊ ।।

सागर को कैसा अभिमान
पता नही जड़ को
उसके तट पर आया है
स्वंय राम।।

ज्वाला अनल अडिग क्रोध
देख रघुवीर जमवन्त विभीषण
हतप्रद बानर रीछ ।।

अति विनम्र करुणा के स्वंय जो
सागर उर में जिनके उठता
विध्वंसक ज्वार सागर अस्तित्व
ही मिट जाएगा कैसे होगा युग
उद्धार।।

संसय में राम की सेना
लखन लाल को भाई क्रोध ही
भया बोले भईया मैंने तो किया
ही था सचेत सागर जड़ है
जड़ से जड़ता ही सर्व सम्मत है।।

लखन लाल ने दिया
सारंग कर पिनाक लिए
प्रत्यंचा पर वाण
चढ़ाया रघुवीर।।

बोले आज सागर से
सृष्टि विहीन कंरू
सागर अहंकार का
मान गर्दन करू
शपत जब तक
सागर का अंत नहीं
राम क्रोध का
अर्थ नहीं।।

सागर के अंतर्मन में
कोलाहल ज्वाला
भीषण विकट विकराल
उथल पुथल सागर
साम्राज्य में चहूं ओर
हाहाकार।।

सागर ने देखा
अस्तित्व अंत
लज्जित आत्म ग्लानि
मर्यादा का तिरस्कार
अपमान स्वंय के
अहंकार अभिमान में।।

आया सम्मुख
क्षमाभाव में
वंदन पूजन
थाल सजाए
रख माथा
रघुकुल तिलक
चरण कमल में
त्राहि त्राहि माम
शरणागति बोला।।

बोला सागर प्रभु
हम तो कुल सम्बन्धी
कितने उपकारों से
उपकृत मैं सागर
रघुवंश का अंश मात्र।।

मेरा अस्तित्व
हंस वंश सूर्य वंश के
साथ सम्भव कैसे ?
सूर्यवंश से मेरा विनाश।।

करुणा सागर
क्षमा सागर
दया सागर
मर्यादा पुरुषोत्तम से ही हो
सागर को त्रास।।

बोले धीर वीर गभ्भीर
सुनो सागर ध्यान से
शांत चित्त मन से।।

कैसे पार उतरेगी
सेना राम की
पथ का कैसे हो निर्माण ?
बतलाओ जैसे भी हो
सागर सेना पार।।

बोला सागर
नल नील भ्राता द्वय
पाहन फेंके
मेरे जल में
पाहन नही डूबेगा
मेरी सतह पर ही तैरेगा
ऐसा ही है नल नील
को ऋषि श्राप।।

सागर बंध जाएगा
महिमा उसकी
घट जाएगी
अभिमान अहंकार का
शमन हो जाएगा
पथ राम सेना को
मिल जाएगा।।

क्षमा किया रघुवर ने
सागर को
सागर अपराध बोध से
ग्रसित अहंकार के
अंधकार गहराई से
मुक्त रघुवर विजय पथ में
स्वंय की गरिमा महिमा
मिट जाने से
आल्लादित प्रसन्न।।

नंदलाला मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।

Language: Hindi
12 Views
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all

You may also like these posts

बरसाने की हर कलियों के खुशबू में राधा नाम है।
बरसाने की हर कलियों के खुशबू में राधा नाम है।
Rj Anand Prajapati
* प्यार के शब्द *
* प्यार के शब्द *
surenderpal vaidya
कविता का किसान
कविता का किसान
Dr. Kishan tandon kranti
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
Vishal Prajapati
*दुनियादारी की समझ*
*दुनियादारी की समझ*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
एक मै था
एक मै था
Ashwini sharma
4002.💐 *पूर्णिका* 💐
4002.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कहां चले गए तुम मुझे अकेला छोड़कर,
कहां चले गए तुम मुझे अकेला छोड़कर,
Jyoti Roshni
अब बदला किस किस से लू जनाब
अब बदला किस किस से लू जनाब
Umender kumar
पलटे नहीं थे हमने
पलटे नहीं थे हमने
Dr fauzia Naseem shad
परिस्थितियां बदलती हैं हमारे लिए निर्णयों से
परिस्थितियां बदलती हैं हमारे लिए निर्णयों से
Sonam Puneet Dubey
इश्क़ हो
इश्क़ हो
हिमांशु Kulshrestha
चांद देखा
चांद देखा
goutam shaw
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
समझो नही मजाक
समझो नही मजाक
RAMESH SHARMA
पानी की तरह रंग है वो कितनी हसीं है
पानी की तरह रंग है वो कितनी हसीं है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
समय बदल रहा है..
समय बदल रहा है..
ओनिका सेतिया 'अनु '
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
आश भरी ऑखें
आश भरी ऑखें
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
"ज्ञान रूपी आलपिनो की तलाश के लिए चूक रूपी एक ही चुम्बक काफ़ी
*प्रणय*
चुनाव 2024....
चुनाव 2024....
Sanjay ' शून्य'
*बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)*
*बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)*
Ravi Prakash
कही दूर नहीं हो ,
कही दूर नहीं हो ,
Buddha Prakash
सफल हुए
सफल हुए
Koमल कुmari
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
नाटक
नाटक
Nitin Kulkarni
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
The only difference between dreams and reality is perfection
The only difference between dreams and reality is perfection
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कैसे पड़े हैं प्रभु पाँव में छाले
कैसे पड़े हैं प्रभु पाँव में छाले
Er.Navaneet R Shandily
जिंदगी
जिंदगी
अखिलेश 'अखिल'
Loading...