टमाटर का जलवा ( हास्य -रचना )
टमाटर का जलवा
( हास्य -रचना )
ज्ञानी धैर्य धारण करने की बात बिलकुल ठीक बताते,
क्योंकि कभी न कभी अच्छे दिन अवश्य ही हैं आते।
पेट्रोल को अपने पर गर्व है कि अर्थव्यवस्था में है उसका बहुत बड़ा मान,
पछाड़ कर पेट्रोल को मूल्य में, टमाटर ने अब अर्जित किया है अपूर्व सम्मान।
आज टमाटर पर देखो आया है कैसा ओज,
कल का गंगू तेली आज बना है राजा भोज।
मेरे अधिकारी मित्र की पत्नी ने उनसे कहा कि बाजार से थोड़े से टमाटर ले आयें,
मित्र थककर थे आये पर इतना कहाँ साहस था की टमाटर के लिए न कह पायें।
मेरे मित्र आफिस में जाने जाते हैं एक अत्यंत कठोर अधिकारी,
घर में प्रवेश करते ही परिवर्तित हो जाते हैं अधिकृत आज्ञाकारी।
मंडी से दो किलो टमाटर तुलवाए और मित्र वापिस घर की राह पर आये,
पर वह देख कर चकराये जब दो युवक डंडे लेकर उनका रास्ता रोके पाये।
मित्र ने सोने कि अंगूठी की सुरक्षा हेतु उसपर मजबूत पकड़ बनायी,
पर पल भर में ही युवकों ने टमाटर झपट मिल्खा सिंह जैसी दौड़ लगायी।
टमाटर न ले जाने पर पत्नी की संभावित प्रतिक्रिया से मित्र घबराये,
और पूरी ताकत लगाकर चोर ! चोर! पकड़ो ! पकड़ो! चिल्लाये।
एक पुलिसवाला दौड़ कर दोनों युवकों को पकड़ कर लाया ,
दो -चार चांटे लगाये और फिर टमाटर का थैला वापिस कराया।
मित्र बोले,” इन्हे कानून के भय का नहीं है जरा भी अहसास,
दिन दिहाड़े लूट करने के अपराध का किया है दुस्साहस।”
युवक पुलिसवाले से बोले,” मान्यवर ! असल में इन्ही महाशय का है दोष,
जिसे देखना भी पाप है ,कैसे है इनके पास उसका दो किलो का कोष ?”
टमाटर ले कर मित्र जैसे ही घर पहुँचे, पत्नी तेजी से बोली कि थोड़े ही लाते,
इतने खर्च में तो कार में पेट्रोल भरवा कर मेरे मायके मिलकर आ जाते।
डॉ हरविंदर सिंह बक्शी