झील
इन झील सी आंखों में डूब जाने का मन करता है
जब तुम इन प्यार भरी नजरों से मुझे देखती हो
इन झील सी आंखों में कोई दर्द सा छुपा है
इस दर्द में भी तेरा मेरे लिए प्यार भी दिखता है
हंसते हुए चेहरे के पीछे भी दिखती है उदासी तुम्हारी
उस उदासी के पीछे भी मेरे लिए वह आहत हैदिखती
फिर क्या है वजह तुम्हारी जो यह दर्द लबों पर ना आए
क्यों तेरी इन झील सी आंखों में इतनी गहराई है छुपी
इन गहराइयों में अब डूब जाने का मन करता है
काश कहपाते इस दर्द को तुम तो बांटलेते इस दर्द को आधा
क्यों इन झील सी आंखों में दर्द है छिपा सा!
** नीतू गुप्ता