“ज्यादा सुकून न तलाश”
एक बात बता दूँ साथिया
है ये मेरा अहसास,
जिन्दगी की राहों में
ज्यादा सुकून न तलाश।
ज्यादा कुछ ना हो तो
सुकून साथ रहता है,
ख्वाहिशों के बढ़ने से
उसी हिसाब से घटता है।
प्यास लगे तो पानी
भूख लगे तो खानी
बावजूद इससे इतर है
इंसान की जिन्दगानी
सोचो साथ क्या ले जाएगा
सब यहीं रह जाएगा
वैसे भी रब की नज़र में
आम न कोई खास,
जिन्दगी की राहों में
ज्यादा सुकून न तलाश।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त 2022-23