जौन एलिया
जौन एलिया को 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध के कुछ महान शायरों में शुमार किया जाता है। वे अपने पूर्ववर्ती और समकालीन शायरों से अलग अन्दाज और जुदा तेवर विकसित करने के लिए जाना जाता है। प्रेम के टूटने की व्यथा, अकेलापन और अजनबीयत के गहरे अहसास उनकी शायरी में जिस तीखेपन के साथ अभिव्यक्त हुए हैं, उससे गुजरना एक अलग ही अहसास देता है। पाकिस्तान की सुप्रसिद्ध पत्रकार जाहिदा हिना से प्रेम विवाह और अप्रिय स्थितियों में तलाक के बाद उनकी लेखनी की धार इस कदर तेज हुई कि कलेजे को चीरती हुई निकल जाती है। एक लम्बी बीमारी के बाद बेहद त्रासद परिस्थितियों में सन् 2002 में उनका देहावसान हुआ। उनकी लिखी ये चन्द पंक्तियाँ प्रस्तुत है :
खामोशी कह रही है कान में क्या
आ रहा है मेरे गुमान में क्या
यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।