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17 Nov 2020 · 1 min read

जो हुए हादसे देखता रह गया

जो हुए हादसे देखता रह गया
क्या बनाया था किरदार क्या रह गया

अक्स पत्थर में देखा लगा यूँ मुझे
सामने इक मेरे आइना रह गया

उसने पढ़कर सुनाई ग़ज़ब की ग़ज़ल
और मैं था कि बस झूमता रह गया

हम उधर को गए वो इधर आ गये
उनसे मिलना-मिलाना मेरा रह गया

कुछ क़दम मैं चला लौट आया तभी
पर बुलाता मुझे रास्ता रह गया

बीच दरिया में तूफ़ान को देखकर
हौसला भी मेरा कांपता रह गया

आजकल की अदालत न आदिल सही
देर लगती बहुत फ़ैसला रह गया

है उजाला तो ऊपर दिये के बहुत
पर तले में अंधेरा घना रह गया

ढूंढ़ता वो नहीं है किसी में कमी
कौन ‘आनन्द’ जैसा भला रह गया

शब्दार्थ:- आदिल=जज

– डॉ आनन्द किशोर

2 Likes · 1 Comment · 384 Views
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