जो मिला ही नहीं
अच्छा है, नसीब में क्या है वह पता ही नहीं
पता हो, तो भी,जो होना है, वह टला ही नहीं
मिलना तो ख़ुद से था, जो कभी मिला ही नहीं
ख़ुद को देख पाता ऐसा आईना बना ही नहीं
ढूँढता है शहर में कोई,नया मकान अक्सर
कोई मुस्तकिल ठिकाना यहाँ हुआ ही नहीं
मौसम यहाँ इंसा की नीयत सा बदलता है
आईने में, कोई चेहरा देर तक रुका ही नहीं
एक बार ही मिला था अपनी रूह से, मैं
किसी ने कुछ कहा , फिर बुरा लगा ही नहीं
डा राजीव “सागरी”