जो बीत गई।
जो बीत गई वो खतम है,,,
जो बची है अब अहम है।
यह जिन्दगी है मेरे दोस्तों,,,
होती बडी ही ये बेरहम है।।1।।
कब कहां पर क्या करदे,,,
इसमें होता नहीं रहम है।
यह घाव पर घाव देती है,,,
फिर देती यही मरहम है।।2।।
पत्थर दिल मेरा सनम है,,,
इश्क बना मेरा मेहरम है।
ज़िंदा ना किसी में शर्म है,,,
नंगेपन का हुआ फैशन है।।3।।
दुनियाँ में ये कैसा चलन है,,,
कोई नही निभाता धरम है।
खुदा का सभी पर रहम है,,,
करता वह ही बस करम है।।4।।
इंसान का जीना यूं भरम है,,,
होती इसको बड़ी जलन है।
अपने दुख से ना परेशान है,,,
दुसरे के सुख का इसे गम है।।5।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ