Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2024 · 1 min read

जो पहले थी वो अब भी है…!

बेरहम वही फिर ख़ामोशी…
जो पहले थी वो अब भी है..!
अंज़ाम वही फिर मायूसी…
जो पहले थी वो अब भी है…!

कितने पतझड़, कितने वसंत,
कितने सावन आये, जाये..
बस तूं ही इतना इतराये
इस प्यासे दिल को तरसाये..
मुरझाई हुई बगिया मेरी…
जो पहले थी वो अब भी है…!

इक दिन ऐसा भी आयेगा
ये सफ़र देख थम जायेगा
तूं माने या फिर ना माने
दिल तेरा भी पछतायेगा…

तू जितना मुझसे इतराता है
वो उतना तुझे तरसायेगा…
फितरत की तल्ख हक़ीक़त तो
जो पहले थी वो अब भी है…!
बेरुखी उधर, बेबसी इधर…
जो पहले थी वो अब भी है…!!

© अभिषेक पाण्डेय अभि

9 Likes · 68 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ଏହା ସତ୍ୟ ଅଟେ
ଏହା ସତ୍ୟ ଅଟେ
Otteri Selvakumar
परतंत्रता की नारी
परतंत्रता की नारी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मानव आधुनिकता की चकाचौंध में अंधा होकर,
मानव आधुनिकता की चकाचौंध में अंधा होकर,
पूर्वार्थ
* जिन्दगी में *
* जिन्दगी में *
surenderpal vaidya
*व्याख्यान : मोदी जी के 20 वर्ष*
*व्याख्यान : मोदी जी के 20 वर्ष*
Ravi Prakash
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
Uttirna Dhar
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
कवि दीपक बवेजा
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
Manisha Manjari
गिलहरी
गिलहरी
Satish Srijan
ज़माने की नजर से।
ज़माने की नजर से।
Taj Mohammad
**ये गबारा नहीं ‘ग़ज़ल**
**ये गबारा नहीं ‘ग़ज़ल**
Dr Mukesh 'Aseemit'
सच
सच
Sanjeev Kumar mishra
काहे का अभिमान
काहे का अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
Jitendra kumar
गाय
गाय
Vedha Singh
4636.*पूर्णिका*
4636.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमारे तो पूजनीय भीमराव है
हमारे तो पूजनीय भीमराव है
gurudeenverma198
🙅सीधी बात🙅
🙅सीधी बात🙅
*प्रणय प्रभात*
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
Dr Archana Gupta
सत्य तत्व है जीवन का खोज
सत्य तत्व है जीवन का खोज
Buddha Prakash
पतंग
पतंग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
Chaahat
कहे साँझ की लालिमा ,
कहे साँझ की लालिमा ,
sushil sarna
"ले जाते"
Dr. Kishan tandon kranti
दो भावनाओं में साथ
दो भावनाओं में साथ
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
पढ़ें बेटियां-बढ़ें बेटियां
पढ़ें बेटियां-बढ़ें बेटियां
Shekhar Chandra Mitra
भरे हृदय में पीर
भरे हृदय में पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
जंगल ये जंगल
जंगल ये जंगल
Dr. Mulla Adam Ali
क्यों गुजरते हुए लम्हों को यूं रोका करें हम,
क्यों गुजरते हुए लम्हों को यूं रोका करें हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...