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12 Nov 2024 · 1 min read

जो तुम्हारे भीतर,

जो तुम्हारे भीतर,
तुम्हारे अंतरमन को सींच कर,
मुर्झाये हुए पुष्प को खिला दे,
वही प्रेम है।
लक्ष्मी सिंह

1 Like · 16 Views
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